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Sunday, February 9, 2014

"आया मधुमास" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरे काव्यसंग्रह "सुख का सूरज" से 
   
मधुमास का गीत
मेरे आग्रह पर इसे मेरी मुँहबोली भतीजी 
अर्चना चावजी ने बहुत मन से गाया था!

आप भी इस गीत का रस लीजिए!
फागुन की फागुनिया लेकरआया मधुमास!
पेड़ों पर कोपलियाँ लेकरआया मधुमास!!

धूल उड़ाती पछुआ चलतीजिउरा लेत हिलोर,
देख खेत में सरसों खिलतीनाचे मन का मोर,
फूलों में पंखुड़िया लेकरआया मधुमास!
पेड़ों पर कोपलियाँ लेकरआया मधुमास!!

निर्मल नभ है मन चञ्चल हैसुधरा है परिवेश,
माटी के कण-कण मेंअभिनव उभरा है सन्देश,
गीतों में लावणियाँ लेकरआया मधुमास!
पेड़ों पर कोपलियाँ लेकरआया मधुमास!!

छम-छम कानों में बजती हैं गोरी की पायलियाँ,
चहक उठी हैंमहक उठी हैंसारी सूनी गलियाँ,
होली की रागनियाँ लेकरआया मधुमास!
पेड़ों पर कोपलियाँ लेकरआया मधुमास!! 

3 comments:

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