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Tuesday, May 27, 2014

"जीत के माहौल में क्यों हार की बातें करें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरे काव्य संग्रह "सुख का सूरज" से
एक ग़ज़ल
"जीत के माहौल में क्यों हार की बातें करें"
सादगी के साथ में, शृंगार की बातें करें
जीत के माहौल में, क्यों हार की बातें करें

सोचने को उम्र सारी ही पड़ी है सामने,
प्यार का दिन है सुहाना, प्यार की बातें करें

रंग मौसम ने भरे तो, रोज ही मधुमास है,
रंज-ओ-ग़म को छोड़कर, त्यौहार की बातें करें

मन-सुमन अब मिल गये, गुञ्चे चमन में खिल गये,
आज के दिन हम, नये उपहार की बातें करें

प्रीत है इक आग, इसमें ताप जीवन भर रहे,
हम सदा सुर-ताल, मृदु झंकार की बातें करें

"रूप" कब तक साथ देगा, नगमग़ी बाज़ार में,
साथ में मिल-बैठकर, परिवार की बातें करें

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