मना रहे थे लोग जब, होली का त्यौहार। पौत्र रत्न के रूप में, मुझे मिला उपहार।। -- जन्मदिवस पर पौत्र को, देता हूँ आशीश। पढ़-लिखकर बन जाइए, वाणी के वागीश।। -- कुलदीपक के साथ में, बँधी हुई ये आस। तुमसे ही गुलजार है, मेरा ये आवास।। -- सारे जग में देश का, रौशन करना नाम। नयी सोच के साथ में, करना अच्छे काम।। -- कठिन राह को देखकर, नहीं मानना हार। दीर्घ आयु की कामना, करता है परिवार।। -- आगे बढ़ने के लिए, रखो इरादे नेक। उन्नति के खुल जायगें, पथ में द्वार अनेक।। -- दीन-दुखी असहाय का, रखना हरदम ध्यान। देते हैं श्रमशील को, ज्ञान सदा इंसान।। -- गुरू और माता-पिता, आदर के हैं योग्य। जिन पर इनकी हो कृपा, वो ही बने सुयोग्य।। -- |
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Saturday, March 5, 2022
दोहे "पाँच मार्च-मेरे पौत्र का जन्मदिन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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