जब बसन्त का मौसम आता,
गीत प्रणय के गाता उपवन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते
गुंजन।।
आता है जब नवसंवतसर,
मन में चाह जगाता है,
जीवन में आगे बढ़ने की,
नूतन राह दिखाता है,
होली पर अच्छे लगते हैं,
सबको नये-नये व्यंजन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते
गुंजन।।
पेड़ और पौधें भी फिर से,
नवपल्लव पा जाते हैं,
रंग-बिरंगे सुमन चमन में,
हर्षित हो मुस्काते हैं,
नयी फसल से भर जाते हैं,
गाँवों में सबके आँगन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते
गुंजन।।
माता का वन्दन करने को,
आते हैं नवरात्र सुहाने,
तन-मन का शोधन करने को,
गाते भक्तिगीत तराने,
राम जन्म लेते नवमी पर
दुःख दूर करते रघुनन्दन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते
गुंजन।।
हर्ष मनाते बैशाखी पर,
अन्न घरों में आ जाता है,
कोयल गाती पंचम सुर में,
आम-नीम बौराता है,
नीर सुराही का पी करके,
मन हो जाता है चन्दन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते
गुंजन।।
देवभूमि अपना भारत है,
आते हैं अवतार यहाँ,
षड्ऋतुओं का होता संगम,
दुनियाँ में है और कहाँ,
भारत की पावन माटी को,
करता हूँ शत्-शत् वन्दन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते
गुंजन।।
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Tuesday, March 24, 2020
गीत "आता है जब नवसंवतसर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नवसंवतसर की समस्त परिवार को बधाई व शुभकामनाएं आदरणीय।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सर ,आपको भी नवसंवतसर की हार्दिक बधाई
ReplyDeleteAti sundar rachana
ReplyDeleteआप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना
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