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Wednesday, August 17, 2011

Anna Hajare is Anna Karore now

कल 16 अगस्त 2011 को अन्ना हजारे द्वारा जे पी पार्क में जो धरना व अनशन करना प्रस्तावित था। उससे पूर्व ही उन्हें गिरफ्तार करके दिल्ली पुलिस ने सत्ता के साथ अपने रिश्तो की मजबूती दर्शाई । फिर दिन भर आरोप प्रत्यारोप लगते रहे और अन्ना के पक्ष मंे बढते जनाधार व सत्ता के प्रति बढते जनाक्रोश के चलते सरकार ने आखिर में उनकी रिहाई का मन बना लिया। उसे देखकर लगता है कि सत्ता आज संविधान से भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई हैं।
आखिर श्री राहुल गांधी को क्या हक हैं कि वह किसी की रिहाई या बंदी बनाने के फैसले की प्रकिया में शामिल हो सकें।
फिर देखें कि कितना जनबल अन्ना के साथ आ गया। कि इन्हें अन्ना हजारे नही अन्ना करोडे कहा जाना चाहिए।
आप सभी पाठकों से मेरा अनुरोध हैं कि अपने स्थानीय सांसद, प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के नाम अन्ना के लोकपाल बिल के संबंध में एक एक पोस्टकार्ड जरूर भेजें। एवं कम से कम 10 लोगों को पोस्टकार्ड भेजने हेतु प्रेरित करें
पोस्टकार्ड में लिखे जाने वाले ज्ञापन का मैटर निम्न रखा जा सकता हैं।
सांसद को लिखा जाने वाला पत्र
हमने आपको अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए संसद में भेजा हैं। न कि उसे बढाने के लिए। शायद ये हमारी गलती हो गई।कृप्या कर हमने आपको चुनकर जो गलती कर दी उसकी और सजा हमें ना देवें। अरे इससे अच्छी तो गुलामी थी कम से कम हमें परेशान करने वाले पराये तो थे, अब तो अपने ही हमें घाव देने लगे हैं। ये काहे की आजादी हैं। ये तो सत्ता का हस्तांतरण हैं। इसमें ज्यादा तकलीफ है क्योंकि आप हमारे हैं और आप ही हमें परेशान करें। लोकपाल बिल पारित करावें।

भवदीयः
आपके व आपकी सरकार के जुल्मों की सताई, आजादी के बाद भी आपकी गुलाम, आपकी जनता


प्रधानमंत्री को लिखा जाने वाला पत्र
हमने आपको अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए जिन्हें संसद में भेजा था शायद ये हमसे उन्हें चुनने में गलती हो गई। क्यांेकि उन्होने आपको अपना नेता चुन लिया। और इस कारण से देष का बेडा गर्क हो गया हैं। कृप्या कर हमने आपको चुनकर जो गलती कर दी उसकी और सजा हमें ना देवें। अरे इससे अच्छी तो गुलामी थी कम से कम हमें परेषान करने वाले पराये तो थे, अब तो अपने ही हमें घाव देने लगे हैं। ये काहे की आजादी हैं। ये तो सत्ता का हस्तांतरण हैं। इसमें ज्यादा तकलीफ है क्योंकि आप हमारे हैं और आप ही हमें परेशान करें। लोकपाल बिल पारित करावें। अरे सिंह साहब शर्म करो, ऐसी भी क्या मजबूरी।

भवदीयः
आपके व आपकी सरकार के जुल्मों की सताई, आजादी के बाद भी आपकी गुलाम, आपकी जनता


राष्ट्रपति को लिखा जाने वाला पत्र
आप भारत के संविधान द्वारा निर्मित सर्वोच्च पद पर आसीन हैं। हम जानते हैं कि आपका पद केवल मात्र एक रबर की मोहर के समान हैं। आपके हाथ में कुछ नही हैं। मगर आपको जो विषेषाधिकार प्राप्त हैं, उनका प्रयोग करें और इस जनता को परेषान करने वाली सरकार को सुधारें। आपसे हमें यही उम्मीद हैं। क्या आप हमारी समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रयास करके हमारी उम्मीदों पर खरी उतरेंगी या अपने पूर्व परिवार (अपनी राजनैतिक पार्टी) एवं पूर्व मित्रों (नेतागणों) के साथ रहकर अपना फर्ज अदा करेंगी। और देष को बर्बाद होते देखना पसंद करेंगी। कृप्या कर आपको चुनकर जो गलती कर दी उसकी और सजा हमें ना देवें। लोकपाल बिल पारित करावें अरे इससे अच्छी तो गुलामी थी कम से कम हमें परेषान करने वाले पराये तो थे, अब तो अपने ही हमें घाव देने लगे हैं। ये काहे की आजादी हैं। ये तो सत्ता का हस्तांतरण हैं। इसमें ज्यादा तकलीफ है क्योंकि आप हमारे हैं और आप ही हमें परेशान करें।
भवदीयः
आपके व आपकी सरकार के जुल्मों की सताई, आजादी के बाद भी आपकी गुलाम, आपकी जनता

Sunday, August 7, 2011

"अन्तरराष्ट्रीय मित्रता दिवस आज ही है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")



The first World Friendship Day 

was proposed for 30 July 1958.

On 27 April 2011

the General Assembly 

of the United Nations declared[3]

30 July as official International Friendship Day.

However, some countries, including India[4], 

celebrate Friendship Day on the first Sunday of August.

इस हिसाब से तो आज ही मित्रता दिवस है।

मित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

अगले वर्ष अगस्त के प्रथम सप्ताह में

आपको फिर से बधाई दूँगा।