मेरे काव्य संग्रह "सुख का सूरज" से
एक ग़ज़ल
"कुछ प्यार की बातें करें"
ज़िन्दगी के खेल में, कुछ प्यार की बातें करें।
प्यार का मौसम है, आओ प्यार की बातें करें।।
नेह की लेकर मथानी, सिन्धु का मन्थन करें,
छोड़ कर छल-छद्म, कुछ उपकार की बातें करें।
आस के अंकुर उगाओ, अब सुमन के खेत में,
प्रीत का संसार है, शृंगार की बातें करें।
भावनाओं के नगर में, गीत खुलकर गुनगुनाओ,
रूठने की रीत में, मनुहार की बातें करें।
कदम आगे तो बढ़ाओ, सामने मंजिल खड़ी,
जीत के माहौल में, क्यों हार की बातें करें।
थाल पूजा का सजाकर, वन्दना के साथ में,
दीन-दुखियों के सदा, उद्धार की बातें करें।
आए जब भी पर्व कोई, प्यार से उपहार दें,
छोडकर शिकवे-गिले, त्यौहार की बातें करें।
कामकाजी हो अगर तो, घर न लाओ काम को,
मिलके घर-परिवार में, परिवार की बातें करें।
“रूप” है नश्वर सभी का, चार दिन की चाँदनी।
छोड़कर इन्कार को, इक़रार की बातें करें।
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बहुत बढ़िया प्रस्तुति !
ReplyDeleteखुबसूरत गजल
ReplyDelete“रूप” है नश्वर सभी का, चार दिन की चाँदनी।
ReplyDeleteछोड़कर इन्कार को, इक़रार की बातें करें।
वाह, बहुत सही।