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Friday, June 6, 2014

"कुछ प्यार की बातें करें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरे काव्य संग्रह "सुख का सूरज" से
एक ग़ज़ल
"कुछ प्यार की बातें करें"

ज़िन्दगी के खेल में, कुछ प्यार की बातें करें।
प्यार का मौसम हैआओ प्यार की बातें करें।।

नेह की लेकर मथानीसिन्धु का मन्थन करें,
छोड़ कर छल-छद्मकुछ उपकार की बातें करें।

आस के अंकुर उगाओअब सुमन के खेत में,
प्रीत का संसार हैशृंगार की बातें करें।

भावनाओं के नगर मेंगीत खुलकर गुनगुनाओ,
रूठने की रीत मेंमनुहार की बातें करें।

कदम आगे तो बढ़ाओसामने मंजिल खड़ी,
जीत के माहौल मेंक्यों हार की बातें करें।

थाल पूजा का सजाकर, वन्दना के साथ में,
दीन-दुखियों के सदा, उद्धार की बातें करें।

आए जब भी पर्व कोई, प्यार से उपहार दें,
छोडकर शिकवे-गिले, त्यौहार की बातें करें।

कामकाजी हो अगर तो, घर न लाओ काम को,
मिलके घर-परिवार में, परिवार की बातें करें।

रूप है नश्वर सभी का, चार दिन की चाँदनी।
छोड़कर इन्कार को, इक़रार की बातें करें।

3 comments:

  1. बहुत बढ़िया प्रस्तुति !

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  2. खुबसूरत गजल

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  3. “रूप” है नश्वर सभी का, चार दिन की चाँदनी।
    छोड़कर इन्कार को, इक़रार की बातें करें।

    वाह, बहुत सही।

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