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Saturday, March 5, 2022

दोहे "पाँच मार्च-मेरे पौत्र का जन्मदिन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मना रहे थे लोग जब, होली का त्यौहार।
पौत्र रत्न के रूप में, मुझे मिला उपहार।।
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जन्मदिवस पर पौत्र को, देता हूँ आशीश।
पढ़-लिखकर बन जाइए, वाणी के वागीश।।
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कुलदीपक के साथ में, बँधी हुई ये आस।
तुमसे ही गुलजार है, मेरा ये आवास।।
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सारे जग में देश का, रौशन करना नाम।
नयी सोच के साथ में, करना अच्छे काम।।
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कठिन राह को देखकर, नहीं मानना हार।
दीर्घ आयु की कामना, करता है परिवार।।
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आगे बढ़ने के लिए, रखो इरादे नेक।
उन्नति के खुल जायगें, पथ में द्वार अनेक।।
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दीन-दुखी असहाय का, रखना हरदम ध्यान।
देते हैं श्रमशील को, ज्ञान सदा इंसान।।
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गुरू और माता-पिता, आदर के हैं योग्य।
जिन पर इनकी हो कृपा, वो ही बने सुयोग्य।। 
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