डी.आई.जी. - डी.डी.मिश्र
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर डी.आई.जी. - डी.डी.मिश्र ने अपनी जबान खोली तो सत्ताधीशों ने उनकी मानसिक स्थिति खराब बताकर उन्हें जबरन मानसिक चिकित्सालय में भर्ती करवा दिया।
यह तो पता नहीं कि मानसिकता किसकी खराब है मगर यह जरूर सिद्ध हो गया है कि भ्रष्टाचार पर अपनी साफगोई दिखानेवालों की दुनिया के सबसे बड़े प्रजातन्त्र में खैर नहीं है।
अन्ना हजारे ने और स्वामी रामदेव ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलन्द की तो शासन के मठाधीशों को यह सहन नहीं हुआ और स्वामी रामदेव के आन्दोलन को कुचल दिया। अन्ना को भी इसका खमियाजा भुगतना पड़ा और उन्हें अकारण जेल में भेज दिया मगर आरोपों में कोई दम नहीं होने के कारण उन्हे न केवल रिहा किया गया बल्कि अनशन करने की भी इजाजत दे दी गई।
इसके बाद हरियाणा में उपचुनाव हुए और जनता ने सच्चाई का साथ देते हुए सत्ताधारी दल के प्रत्याशी को धूल चटा दी!
इसके बाद उ.प्र. के एक डी.आई.जी. - डी.डी.मिश्र ने जब मुँह खोला तो उन्हें भी शासन के दमन का शिकार होना पड़ा!
इतना तो स्पष्ट हो ही गया है कि इस देश में अन्ना हजारे जैसे देशभक्तों का साथ देने पर सरकार के कोप का सामना सबी को करना पड़ेगा! यानि सत्ताधीश इस देश में कभी भी भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं करना चाहते हैं।
अब देखना यह है कि भ्रष्टाचारी लोग आगामी चुनाव में जनता का विश्वास कैसे जीत पायेंगे?
भगवान के घर देर है, अन्धेर नहीं!
आखिर बकरे की माँ कब तक खैर मनायेगी?
सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार गुरु जी ||