आज 29 जुलाई को उड़नतश्तरी वाले समीर लाल जी का जन्म दिन है। इस अवसर पर मैं उनको हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ प्रेषित करता हूँ! लगभग 2 वर्ष पूर्व उन्होंने मेरी बालकृति “नन्हे सुमन” की भूमिका लिखी थी! एक अद्भुत संसार - ’नन्हें सुमन’ आज की इस भागती दौड़ती दुनिया में जब हर व्यक्ति अपने आप में मशगूल है। वह स्पर्धा के इस दौर में मात्र वही करना चाहता है जो उसे मुख्य धारा में आगे ले जाये, ऐसे वक्त में दुनिया भर के बच्चों के लिए मुख्य धारा से इतर कुछ स्रजन करना श्री रुपचन्द्र शास्त्री ’मयंक’ जैसे सहृदय कवियों को एक अलग पहचान देता है। ‘मयंक’ जी ने बच्चों के लिए रचित बाल रचनाओं के माध्यम से न सिर्फ उनके ज्ञानवर्धन एवं मनोरंजन का बीड़ा उठाया है बल्कि उन्हें एक बेहतर एवं सफल जीवन के रहस्य और संदेश देकर एक जागरूक नागरिक बनाने का भी बखूबी प्रयास किया है। पुस्तक ‘नन्हें सुमन’ अपने शीर्षक में ही सब कुछ कह जाती है कि यह नन्हें-मुन्नों के लिए रचित काव्य है। परन्तु जब इसकी रचनायें पढ़ी तो मैंने स्वयं भी उनका भरपूर आनन्द उठाया। बच्चों के लिए लिखी कविता के माध्यम से उन्होंने बड़ों को भी सीख दी है! ‘डस्टर’ बहुत कष्ट देता है’’ कविता का यह अंश बच्चों की कोमल पीड़ा को स्पष्ट परिलक्षित करता है- ‘‘कोई तो उनसे यह पूछे, क्या डस्टर का काम यही है? कोमल हाथों पर चटकाना, क्या इसका अपमान नही है?’’ ‘नन्हें सुमन’ में छपी हर रचना अपने आप में सम्पूर्ण है और उनसे गुजरना एक सुखद अनुभव है। उनमें एक जागरूकता है, ज्ञान है, संदेश है और साथ ही साथ एक अनुभवी कवि की सकारात्मक सोच है। आराध्य माँ वीणापाणि की आराधना करते हुए कवि लिखता है- ‘‘तार वीणा के सुनाओ कर रहे हम कामना। माँ करो स्वीकार नन्हे सुमन की आराधना।। इस धरा पर ज्ञान की गंगा बहाओ, तम मिटाकर सत्य के पथ को दिखाओ, लक्ष्य में बाधक बना अज्ञान का जंगल घना। माँ करो स्वीकार नन्हे सुमन की आराधना।।’’ मेरे दृष्टिकोण से तो यह एक संपूर्ण पुस्तक है जो बाल साहित्य के क्षेत्र में एक नया प्रतिमान स्थापित करेगी। मुझे लगता है कि इसे न सिर्फ बच्चों को बल्कि बड़ों को भी पढ़ना चाहिये। मेरा दावा है कि आप एक अद्भुत संसार सिमटा पायेंगे ’नन्हें सुमन’ में, बच्चों के लिए और उनके पालकों के लिए भी! कवि ‘‘मयंक’’ को इस श्रेष्ठ कार्य के लिए मेरा साधुवाद, नमन एवं शुभकामनाएँ! -समीर लाल ’समीर’ http://udantashtari.blogspot.com/ 36, Greenhalf Drive Ajax, ON Canada |
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Sunday, July 29, 2012
“नन्हे सुमन” की भूमिका (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार गुरु जी ||
शुभकामनायें -आदरणीय समीर जी ||