मित्रों!
आज अपने काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत पोस्ट कर रहा हूँ!
"ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए"
मोक्ष के लक्ष को मापने के लिए,
जाने कितने जनम और मरण चाहिए।
प्रीत की पोथियाँ बाँचने के लिए-
ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए।।
लैला-मजनूँ को गुजरे जमाना हुआ,
किस्सा-ए हीर-रांझा पुराना हुआ,
प्यार का राग आलापने के लिए,
शुद्ध स्वर, ताल, लय, उपकरण चाहिए।
प्रीत की पोथियाँ बाँचने के लिए-
ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए।।
सन्त का पन्थ होता नही है सरल,
पान करती सदा मीराबाई गरल,
कृष्ण और राम को जानने के लिए-
सूर-तुलसी सा ही आचरण चाहिए।
प्रीत की पोथियाँ बाँचने के लिए-
ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए।।
सच्चा प्रेमी वही जिसको लागी लगन,
अपनी परवाज में हो गया जो मगन,
कण्टकाकीर्ण पथ नापने के लिए-
शूल पर चलने वाले चरण चाहिए।।
प्रीत की पोथियाँ बाँचने के लिए-
ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए।।
झर गये पात हों जिनके मधुमास में,
लुटगये हो वसन जिनके विश्वास में,
स्वप्न आशा भरे देखने के लिए-
नयन में नींद का आवरण चाहिए।
प्रीत की पोथियाँ बाँचने के लिए-
ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए।।
|
Followers
Tuesday, July 23, 2013
"प्यार का राग-ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
ReplyDeleteझर गये पात हों जिनके मधुमास में,
लुटगये हो वसन जिनके विश्वास में,
स्वप्न आशा भरे देखने के लिए-
नयन में नींद का आवरण चाहिए।
प्रीत की पोथियाँ बाँचने के लिए-
ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए।।
सुन्दर भाव सुन्दर अर्थ लय ताल लिए ओजमय रचना गेयता से परिपूर्ण .ओम शान्ति .शुक्रिया आपका चर्चा मंच में शरीक करने के लिए .ओम शान्ति .
सच्चा प्रेमी वही जिसको लागी लगन,
ReplyDeleteअपनी परवाज में हो गया जो मगन,
कण्टकाकीर्ण पथ नापने के लिए-
शूल पर चलने वाले चरण चाहिए।।
प्रीत की पोथियाँ बाँचने के लिए-
ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए।।
ekdam satya kaha hai aapne .
सुन्दर प्रस्तुति है आदरणीय-
ReplyDeleteआभार आपका -
कृष्ण और राम को जानने के लिए-
ReplyDeleteसूर-तुलसी सा ही आचरण चाहिए।
प्रीत की पोथियाँ बाँचने के लिए-
ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए।।
बहुत प्यारी कविता है; ह्रदय से बधाई और हमसे साझा करने हेतु आभार:-))
भाव, लय औत तालबद्ध किया जा सकने वाला मन मोहक गीत ...
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत और भावपूर्ण पंक्तियां
ReplyDelete