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Tuesday, December 3, 2013

"आ जाओ अब तो.." (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरा काव्यसंग्रह सुख का सूरज से
एक गी
आ जाओ अब तो...

मन मेरा बहुत उदास प्रिये!
आ जाओ अब तो पास प्रिये!

मेरे वीराने मधुवन में,
सुन्दर सा सुमन खिलाया क्यों?
जीवन पथ पर आगे बढ़ना,
बोलो मुझको सिखलाया क्यों?
अपनी साँसों के चन्दन से,
मेरे मन को महकाया क्यों?
तुम बन जाओ मधुमास प्रिये!
आ जाओ अब तो पास प्रिये!

मन में सोई चिंगारी को,
ज्वाला बनकर भड़काया क्यो?
मधुरिम बातों में उलझा कर,
मुझको इतना तडपाया क्यों?
सुन लो मेरी अरदास प्रिये!
आ जाओ अब तो पास प्रिये!

सपनों मे मेरे आ करके,
जीवन दर्शन सिखलाया क्यों?
नयनों में मेरे छा करके,
अपना मुखड़ा दिखलाया क्यों?
मुझ पर करलो विश्वास प्रिये।
आ जाओ अब तो पास प्रिये!!

7 comments:

  1. सुन्दर-
    आभार गुरुदेव

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  2. सुन्दर-
    आभार गुरुदेव

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  3. बहुत प्यारा और भावपूर्ण गीत...

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  4. मन मेरा बहुत उदास प्रिये!
    आ जाओ अब तो पास प्रिये!

    कहीं खो न जाये आस प्रिय ,

    अब भी तुम पर विश्वास प्रिय।

    तुम बिन जीवन निस्सार प्रिय।

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  5. सुन्दर स्वर प्रेम और विश्वास के

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  6. मैं नैया तुम पतवार प्रिय ,

    एक तुम मेरा आधार प्रिय।

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