Followers

Saturday, March 29, 2014

"मुस्कराता हुआ अब वतन चाहिए" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

अपने काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत
"लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए"
मन-सुमन हों खिलेउर से उर हों मिले
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए। 
ज्ञान-गंगा बहेशन्ति और सुख रहे- 
मुस्कराता हुआ वो वतन चाहिए।१। 
दीप आशाओं के हर कुटी में जलें
राम-लछमन से बालकघरों में पलें
प्यार ही प्यार होप्रीत-मनुहार हो- 
देश में सब जगह अब अमन चाहिए। 
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए।२। 
छेनियों और हथौड़ों की झनकार हो
श्रम-श्रजन-स्नेह देंऐसे परिवार हों
खेतउपवन सदा सींचती ही रहे- 
ऐसी दरिया-ए गंग-औ-जमुन चाहिए। 
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए।३। 
आदमी से न इनसानियत दूर हो
पुष्पकलिका सुगन्धों से भरपूर हो
साज सुन्दर सजेंएकता से बजें
चेतना से भरेमन-औ-तन चाहिए। 
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए।४।

2 comments:

  1. बहुत हि अच्छी प्रस्तुती प्रस्तुत कि आपने!
    हमारे तकनिकि ब्लॉग पर पधारे- www.hindi-pc.blogspot.com

    ReplyDelete

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।