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Sunday, August 25, 2013

"सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मित्रों!
अपने काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत
"सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए"
 
प्रेम-प्रीत के चक्कर में पड़,
सीमाएँ मत पार कीजिए।
वैलेन्टाइन के अवसर पर,
सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए।।

भोले-भाले प्रेमी को भरमाना,
अच्छी बात नही,
चिकनी-चुपड़ी बातों से बहलाना,
अच्छी बात नही,
ख्वाब दिखा कर आसमान के,
धरती सेमत वार कीजिए।
वैलेन्टाइन के अवसर पर,
सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए।।

जन्म-जिन्दगी के साथी से,
झूठे वादे मत करना,
दिल के कोने में घुस कर,
नापाक इरादे मत करना,
हाथ थाम कर साथ निभाना,
प्रीत भरा व्यवहार कीजिए।
वैलेन्टाइन के अवसर पर,
सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए।।

धड़कन जैसे बँधी साँस से,
ऐसा गठबन्धन कर लो,
पानी जैसे बँधा प्यास से,
ऐसा परिबन्धन कर लो,
सच्चे प्रेमी बन साथी से,
अपनी आँखें चार कीजिए।।
वैलेन्टाइन के अवसर पर,
सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए।।

प्रेम-दिवस की भाँति,
बसन्ती सुमनों को खिलना होगा,
रैन-दिवस की भाँति,
हमें हर-रोज गले मिलना होगा,
हरी-भरी जीवन बगिया में,
मत कोई व्यापार कीजिए।
वैलेन्टाइन के अवसर पर,
सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए।।

3 comments:

  1. बढ़िया पोस्ट -
    आभार गुरूजी

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  2. वासना से प्रेम की ओर जाने का मार्ग बतलाती रचना।

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  3. kya bat hai kavita padhane ke madham se itni acchhi sikh bhi de dali ....

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