मित्रों!
अपने काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत
"प्यार का आधार"
स्नेह से बढ़ता हमेशा स्नेह है!
प्यार का आधार केवल नेह है!! शुष्क दीपक स्नेह बिन जलता नही, चिकनाई बिन पुर्जा कोई चलता नही, आत्मा के बिन अधूरी देह है! प्यार का आधार केवल नेह है!! पीढ़ियाँ हैं आज भूखी प्यार की, स्नेह ही तो डोर है परिवार की, नेह से ही खिलखिलाते गेह हैं! प्यार का आधार केवल नेह है!! नेह से बनते मधुर सम्बन्ध हैं, कुटिलता से टूटते अनुबन्ध हैं, मधुरता सबसे बड़ा अवलेह है! प्यार का आधार केवल नेह है!! नफरतों के नष्ट अंकुर को करो, हसरतों में प्यार का पानी भरो, दोस्ती का शत्रु ही सन्देह है! प्यार का आधार केवल नेह है!! |
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Wednesday, September 18, 2013
"प्यार का आधार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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waah .....satya ,sudar aur satik ....
ReplyDeleteनफरतों के नष्ट अंकुर को करो,
ReplyDeleteहसरतों में प्यार का पानी भरो,
दोस्ती का शत्रु ही सन्देह है!
प्यार का आधार केवल नेह है!!
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ।
हर किसी पे सिर्फ उसका नेह है।
नेह से बनता "जनक" भी सदेह है।
बेहतरीन अभिवयक्ति.....
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