मित्रों!
अपने काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत
"बसन्त"
हर्षित होकर राग भ्रमर ने गाया है!
लगता है बसन्त आया है!!
नयनों में सज उठे सिन्दूरी सपने से,
कानों में बज उठे साज कुछ अपने से,
पुलकित होकर रोम-रोम मुस्काया है!
लगता है बसन्त आया है!!
खेतों ने परिधान बसन्ती पहना है,
आज धरा ने धारा नूतन गहना है,
आम-नीम पर बौर उमड़ आया है!
लगता है बसन्त आया है!!
पेड़ों ने सब पत्र पुराने झाड़ दिये हैं,
बैर-भाव के वस्त्र सुमन ने फाड़ दिये है,
होली की रंगोली ने मन भरमाया है!
लगता है बसन्त आया है!!
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Monday, September 2, 2013
"बसन्त" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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खेतों ने परिधान बसन्ती पहना है,
ReplyDeleteआज धरा ने धारा नूतन गहना है,
आम-नीम पर बौर उमड़ आया है!
लगता है बसन्त आया है!!
bhado me basant .nice feeling
बहुत ही सुन्दर .... सभी कुछ बासंती हो गया ...
ReplyDeleteलाजवाब भावमय रचना ...