Followers

Thursday, August 1, 2013

"कौन राक्षस चाट रहा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मित्रों!
आज अपने काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक कविता पोस्ट कर रहा हूँ!
"कौन राक्षस चाट रहा?
"
आज देश में उथल-पुथल क्यों,
क्यों हैं भारतवासी आरत?
कहाँ खो गया रामराज्य,
और गाँधी के सपनों का भारत?

आओ मिलकर आज विचारें,
कैसी यह मजबूरी है?
शान्ति वाटिका के सुमनों के,
उर में कैसी दूरी है?

क्यों भारत में बन्धु-बन्धु के,
लहू का आज बना प्यासा?
कहाँ खो गयी कर्णधार की,
मधु रस में भीगी भाषा?

कहाँ गयी सोने की चिड़िया,
भरने दूषित-दूर उड़ाने?
कौन ले गया छीन हमारे,
अधरों की मीठी मुस्काने?

किसने हरण किया गान्धी का,
कहाँ गयी इन्दिरा प्यारी?
प्रजातन्त्र की नगरी की,
क्यों  दुखिया जनता सारी?

कौन राष्ट्र का हनन कर रहा,
माता के अंग काट रहा?
भारत माँ के मधुर रक्त को,
कौन राक्षस चाट रहा?

3 comments:

  1. समसामयिक ......सोचने पर विवश करती रचना

    ReplyDelete
  2. पूरा ही राक्षसों से पटा पडा है, बहुत सुंदरा रचना !

    ReplyDelete
  3. देश की हालातों की और ध्यान आकर्षित करती सार्थक चिंतन-मनन कराती रचना ...

    ReplyDelete

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।