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Sunday, October 27, 2013

"प्यार के दिन" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरे काव्य संग्रह "सुख का सूरज" से
एक गीत
"प्यार के दिन"
नये रंग भरने के दिन आ गये हैं।
अब प्यार करने के दिन आ गये हैं।

जुदाई का गम, दिल से जाने लगा है,
सुखद स्वप्न नयनों मे छाने लगा है,
सजने-सँवरने के दिन आ गये हैं।
अब प्यार करने के दिन आ गये हैं।।
अंधेरा मिटाने को, सूरज उगा है,
तन-मन में सोया, सुमन भी जगा है,
गेसू झटकने के दिन आ गये हैं।
अब प्यार करने के दिन आ गये हैं।।
मधुवन मे छायी, महक ही महक है,
चिड़ियों के स्वर में चहक ही चहक है,
महकने-चहकने के दिन आ गये हैं।
अब प्यार करने के दिन आ गये हैं।।
उड़ें फाग-फागुन के फिर से गगन में,
खिले फूल फिर से, गुलाबी चमन में।
चमकने-निखरने के दिन आ गये हैं।
अब प्यार करने के दिन आ गये हैं।।

2 comments:

  1. pyar bhari sundar prastuti man mohti hai

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  2. सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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